मोहब्बत

जमाने में मतलब से निभाई जाती है मोहब्बत

बेवफ़ाई की बाजार में बेची जाती है मोहब्बत।

सवाल चाहे मिलने का हो या बिछड़ने का

हर मुकाम पर रुलाई जाती है मोहब्बत।

मोहब्बत पाने की सौ साजिशें होती हैं

उन्हीं साजिशों मे कहीं खो जाती है मोहब्बत।

चांद और चांदनी-सा किया जाता है इश्क़

सपनों के तारों से पिरोई जाती है मोहब्बत।

किसी रात मिल जाए इश्क़ का दामन तो

बेखौफ़ होकर ज़माने से, सो जाती है मोहब्बत


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