Zindagi Ka Gam Jo Has Kar Utha Nahi Sakta

ज़िंदगी का ग़म जो हँस कर उठा सकता नहीं
मुस्कूराना लाख चाहे, मुस्कूरा  सकता नहीं

मुझको उस मंज़िल पे ले आया मेरा ज़ौक़े अमल
अब मेरे नक़्शे क़दम कोई मिटा सकता नहीं

मुझको कुछ तोहफ़े मिले हैं ऐसे राहे इश्क़ में
जिनको पा कर ख़ुश हूँ लेकिन मुस्कूरा सकता नहीं

-संदीप मनन

Comments