तुझसे दूर जाने की कोशिश में कुछ और पीछे छूट जाता हूँ मैं
इक तेरा भरम रखने को जाने कितने हिस्सों में टूट जाता हूँ मैं
कैसे कह दूँ कि तेरी मोहब्बत में मैं खुद अपना गुनेहगार नहीं
इक तुझे मनाने की खातिर कभी कभी खुद से रूठ जाता हूँ मैं
जो इल्ज़ाम दे रहे हैं बेवफ़ाई का, नहीं जानते वो माजरा क्या है
कि तेरी जुबाँ का पास रखने को शीशे के वादे सा टूट जाता हूँ मैं
बन के शोला मैं अकेले ही जल रहा हूँ बरसों से इन चरागों में
तेरी बारगाह की रौशनी के लिए अपने कारवाँ से छूट जाता हूँ मैं
मैं सितारा हूँ मेरी क़िस्मत में था तेरी खातिर यूँ दर-बदर होना
तेरी मुराद रखने को हर दिन अपने आसमाँ से टूट जाता हूँ मैं
- संदीप मनन
इक तेरा भरम रखने को जाने कितने हिस्सों में टूट जाता हूँ मैं
कैसे कह दूँ कि तेरी मोहब्बत में मैं खुद अपना गुनेहगार नहीं
इक तुझे मनाने की खातिर कभी कभी खुद से रूठ जाता हूँ मैं
जो इल्ज़ाम दे रहे हैं बेवफ़ाई का, नहीं जानते वो माजरा क्या है
कि तेरी जुबाँ का पास रखने को शीशे के वादे सा टूट जाता हूँ मैं
बन के शोला मैं अकेले ही जल रहा हूँ बरसों से इन चरागों में
तेरी बारगाह की रौशनी के लिए अपने कारवाँ से छूट जाता हूँ मैं
मैं सितारा हूँ मेरी क़िस्मत में था तेरी खातिर यूँ दर-बदर होना
तेरी मुराद रखने को हर दिन अपने आसमाँ से टूट जाता हूँ मैं
- संदीप मनन
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