Tujhse door jaane kee koshish meiN kuch aur peeche choot jata hooN maiN

तुझसे दूर जाने की कोशिश में कुछ और पीछे छूट जाता हूँ मैं
इक तेरा भरम रखने को जाने कितने हिस्सों में टूट जाता हूँ मैं

कैसे कह दूँ कि तेरी मोहब्बत में मैं खुद अपना गुनेहगार नहीं
इक तुझे मनाने की खातिर कभी कभी खुद से रूठ जाता हूँ मैं

जो इल्ज़ाम दे रहे हैं बेवफ़ाई का, नहीं जानते वो माजरा क्या है
कि तेरी जुबाँ का पास रखने को शीशे के वादे सा टूट जाता हूँ मैं

बन के शोला मैं अकेले ही जल रहा हूँ बरसों से इन चरागों में
तेरी बारगाह की रौशनी के लिए अपने कारवाँ से छूट जाता हूँ मैं

मैं सितारा हूँ मेरी क़िस्मत में था तेरी खातिर यूँ दर-बदर होना
तेरी मुराद रखने को हर दिन अपने आसमाँ से टूट जाता हूँ मैं

- संदीप मनन


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