Kabhi Sochta Hu Tujhe

कभी सोचता हूँ तुझे
मैं कितना याद आता होऊँगा
कभी बनके आंसू तन्हाइयों में
पलकों पे तेरे उतर आता तो होऊँगा
या बनके तबस्सुम कभी 
तेरे भीगे लब पर
बिखर जाता तो होऊँगा
कभी बनके हँसी बेसाख्ता यूँ ही
तेरे होठों पर खिलखिलाता तो होऊँगा 
सोच के मेरे बारे में अक्सर
कभी बनके गीत
रूमानी कोई तेरी जुबां से गुनगुनाता तो होऊगाँ
ये सच है या सिर्फ ख़्याल मेरा 
ये तुम जानो जानां..
पर तेरे तसव्वुर में कभी 
बनके तेरी जान 
तेरे बिखरे मन को सजाता तो होऊँगा..

संदीप मनन

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